' माइक्रोकविता और दसवाँ रस' साहित्यकारों के लिए उपादेय है। रचनाकर्म साधना नहीं, साधारण है; स्पष्ट करेगी। परंतु साधारण का साधारणीकरण ही काव्य होता है। यह विश्लेषण ' माइक्रोकविता और दसवाँ रस' में मिलेगा। इसे जानने के पहले हम कविता पर मैनेजर पाण्डेय की टिप्पणी याद कर लें - कविता की एक बहुत प्रसिद्ध परिभाषा है - पोएट्री इज द बेस्ट वडर््स इन द बेस्ट आर्डर।'' अब इसमें जो रस हैं उन्हें हम थोड़ी देर के लिए नागरिक मान लें। रचना और किताब के नागरिक शब्द ही होते हैं तो '' कविता सर्वोत्तम शब्दों का सर्वोत्तम विधान है।'' जाहिर है, सर्वोत्तम शब्द कौन हैं, कौन नहीं, कवि ही तय करेगा।'' 2 लगे हाथ रचना में प्रयुक्त शब्द और उसके अर्थ भी समझ लें क्योंकि ' माइक्रोकविता और दसवाँ रस' के लिए यह परम आवश्यक है।
- यशवंत
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