Wednesday, March 23, 2011
भारत की जनजातियॉं
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ठेठ छत्तीसगढ़िया. इंटरनेट में 2007 से सक्रिय. छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली वेब मैग्जीन और न्यूज पोर्टल का संपादक. पेशे से फक्कड़ वकील ऎसे से ब्लॉगर.
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हर्ष मन्दर
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माझी जनजाति पर विस्तार से जानकारी चाहिए मै माझी समाज के लिये कार्य कर रहा हॅू। विंध्यक्ष्ेात्र के सतना, पन्ना, रीवा, सीधी, शहडोल, छतरपुर आदि जिलों में माझी जनजाति पाये जाने के कई प्रमाण पाये गये है लेकिन यह तय नही हो पाया है कि इन जिलों में घोषित की गई सन 1948 से 1956 तक किन जातियों को माझी के रूप में माना गया है। जहां तक हमारा मानना है उसमे माझी की पर्याय व उपजातियो मल्लाह, केवट, नाविक है जो इस क्ष्ेात्र में सैकड वर्षो से अति बद से बतदर जीवन जीते हुए निवास कर रही है। सायद इस समाज की ओर शासन का ध्यान किसी के द्वारा नही कराया गया है। उसी के कारण आज सरकार भी इस माझी समुदाय की मल्लाह केवट नाविक जातियों को माझी की उपजाति नही मान रही है। हम प्रसाय कर रहे है कि इस जनजाति की इन उपजातियों के साथ न्याय हो जिसमें आपसे महती सहयोग की अपेक्षा है। और अधिक जानकरारी के लियो लाॅग इन करें मेरे ब्लाग majhivikas.blogspot.in यदि आपका सहयोग मिला ताे आपको बहुत बहुत सा धन्यवाद।
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