Friday, October 28, 2011

सूरज बनाम रोटी

कितना मिलता है सूरज
रोटी से हमारी

सूरज को देखकर
महसूस कर उसकी आँच
शक्ति उसकी
उसकी स्थिर चाल
मनुष्य ने खाना चाहा उसे
शक्ति को सीधे हजम करने की
कोशिशें कीं
पकाये खूब पुलाव ख्याली

तलाशे फल गोल गोल
खाये लाल लाल
फल सूरज जैसे
किये शिकार
कुछ सफेद लाल गोश्त
कुछ गर्म लाल रुधिर
नहीं बनी कुछ बात
भरा नहीं मन

नियमितता सीखी सूरज से
सूरज से सीखा सबको अपनाना
सदियों में जाना
श्रम का अफ़साना
जोड़ा नाता मिट्टी से
जोड़े जल के हाथ
कुछ किया पवन का साथ
सीखा बोना सूरज को

रोज टहलने आता सूरज
चिढ़ाता, तपता तमतमा कर
छिपता बादलों में
जल से करता बातें कुछ
रोकता उसे भरमा कर
फिर छिपता, लम्बा सुस्ताता
चाँद की चिक से झाँकता
कौतूहल जब जागता

मनुष्य नियमित नहीं
सूरज की तरह सुस्ताने में
जुटा रहता बेरा-कुबेरा
जुगनुओं की गवाही में
सूर्योंे की फसलें सँवारता
सूरज की आहट से पहले ही
उठ जाता / तलाशने अपने सूरज
तराशने अपने सूरज

इसीलिये
कितना मिलता है सूरज
रोटी से हमारी

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