Thursday, March 24, 2011
मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनांए
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ठेठ छत्तीसगढ़िया. इंटरनेट में 2007 से सक्रिय. छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली वेब मैग्जीन और न्यूज पोर्टल का संपादक. पेशे से फक्कड़ वकील ऎसे से ब्लॉगर.
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जान कर अच्छा लगा, कि अपनी कोई कृति 'संजीव' जैसे सार्थक व्यक्ति के पास 'जीवित' है. is abhivan pahalkeliye jitani bhi tareef kee jaye, kam hai.धन्यवाद.
ReplyDeleteप्रिय तिवारी जी, आप मन के द्वारा छत्तीसगढ़ी साहित्य के क्षेत्र म करे गए प्रयास के कतको प्रसंशा करे जाए तेन ह काम हे. मैं ह घलो ओहि भूमि के रहईया अउ बसईया हव अउ बाहिर रह के ओला सुने-बोले ल तरस जाथों। एक दिन अइसने नेट म किंदरत आप मन के पेज ल पायेंव अउ मोहा गयेंव। बहुत सार्थक प्रयास हे आप के. पहिली मैं बेलासपुर म पढाई के ज़माना म श्री रामेश्वर वैष्णव जी के एक ठो पेपर म छपे कालम "उत्ता धुर्रा" ल खचित ढूंढ ढांढ के पढ़त रहेव अउ ओ ज़माना म उंखर व्यंग मोला आकर्षित करत रहिस अउ मैं पठ छत्तीसगढ़ी बोले ल सुरु करेंव। फेर नौकरी म बाहिर आ गयेव अउ वो नाता टूटगे। आप मन के पेज ले जुरके मोला भारी आनंद महसूस होवत हे. अउ साथ म एहू चाहत हे कि आपके माध्यम से बैष्णव जी कसन लेख, साहित्य पढ़े बर मिलही। धन्यवाद।- संजय सिंह, भोपाल। 9424744000
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