जगन्नाथ प्रसाद भानु Jagarnath Prasad
सरल भाषा-पिंगल में
प्रिय पाठको! छंद रचना करते समय नियम के अतिरिक्त छंद की ध्वनि अर्थात लय पर विशेष ध्यान रखिये। चरणांतर्गत जहां जहां यति अर्थात् विश्राम बताये गये हैं वहाँ वहाँ पद पूर्ण होना चाहिये। कविता करो तो ईश्वर व देशहित संबंधी कीजिये। वार्णिक की अपेक्षा मात्रिक छंदों की रचना विशेष सावधानी से कीजिये और रचना करने के पूर्व श्रीगुरु पिंगलाचार्य महाराज का तथा वाग्देदी सरस्वती का स्मरण अवश्य कीजिए, इतियम्। गुरतुर गोठ : छत्तीसगढ़ी (Chhattisgarhi) छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली नियमित, सामयिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक वेब पत्रिका
जगन्नाथ प्रसाद भानु जी के दुर्ललभ पुस्तक छंदःसारावली को उपलब्ध कराने के लिए आप बधाई के पात्र हैं। आपके प्रयासों को सादर नमन्
ReplyDeleteसब झन ला चलव बताबो, भानु छन्द हम गाबो।
ReplyDeleteअब तस्मै घलो बनाबो, मन - मन मा मुस्काबो।
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